#हिंदी_ब्लॉगर
दिलीप के दिल से नामकरण के साथ 2007 के आसपास ब्लॉगिंग की शुरुआत की थी , संगीत को समर्पित इस ब्लॉग में कोशिश ये रही की दिल के एहसासात का और स्वानुभवों को शब्दों में ढालकर पेश कर सकूं।
अंतिम पोस्ट नवंबर 2010 को करने के बाद परदेस के प्रोजेक्ट्स की व्यस्तता के चलते इस दिल को सुकून देने वाले कार्य को बंद करना पड़ा। साथ ही फेसबुक से भी रूबरू हो रहे थे, तो 50 ओवर के मैच की तरह उसमें रम गए। हालांकि 20 ओवर के ट्वीटर को कभी नहीं अपनाया।
आज ताऊ के लट्ठ और मायरा की नानी के डर से आनन फानन में ये पोस्ट तैयार की है, ताकि सनद रहे।
एक चित्र भी डालना चाहूंगा।
लगभग चालीस साल पहले जब कॉलेज के अन्तर्विद्यालयीन स्पर्धाओं में भाग लेते हुए जो फ़ोटो लिया था वो ज़रा गौर से देखें।
हर गायक को लटके हुए माईक पर गाना पड़ता था। पियानो अकोर्डियन वादक को तो मिल गया मगर ढोलक वाले को नसीब नही हुआ।