सिने सन्गीत जगत के स्वर्णिम दौर की यादे ताज़ा कराने वाला यह सुहाना सफ़र हमने कल रात इन्दौर मे तय किया. ब्लेक एवम व्हाईट फ़िल्मो के सदाबहार नगमो से नवाज़ा पूणे के एक कलाकार समूह ने, जिसमे हमने करीब ढाई घन्टे तक मेलोडियस एवम सुमधूर गानो को न केवल सुना, वरन देखा भी.
कार्यक्रम की प्रस्तुति का , कलाकारों के सुरीले गायन का असर इतना हुआ की हम अभी तक डूबे हुए है.
गायक एवम गायिका गाते गाते उस दौर के परिधानो मे इतने घुल गये कि हमे लगा की हम उस ज़माने मे बैठ के प्रत्यक्ष रियल टाईम मे वह लम्हा जी रहे है.
पहला ब्लोग है, बस इतना ही.
Monday, June 23, 2008
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