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सचिन देव बर्मन एक ऐसा नाम है, जो हम जैसे सुरमई संगीत के दीवानों के दिल में अंदर तक जा बसा है. मेरा दावा है कि अगर आप और हम से यह पूछा जाये कि आप को सचिन दा के संगीतबद्ध किये गये गानों में किस मूड़ के, या किस Genre के गीत सबसे ज़्यादा पसंद है, तो आप कहेंगे, कि ऐसी को विधा नही होगी, या ऐसी कोई सिने संगीत की जगह नही होगी जिस में सचिन दा के मेलोड़ी भरे गाने नहीं हों.
आप उनकी किसी भी धुन को लें. शास्त्रीय, लोक गीत, पाश्चात्य संगीत की चाशनी में डूबे हुए गाने. ठहरी हुई या तेज़ चलन की बंदिशें. संवेदनशील मन में कुदेरे गये दर्द भरे नग्में, या हास्य की टाईमिंग लिये संवाद करते हुए हल्के फ़ुल्के फ़ुलझडी़यांनुमा गीत. जहां उनके समकालीन गुणी संगीतकारों नें अपने अपने धुनों की एक पहचान बना ली थी, सचिन दा हमेशा हर धुन में कोई ना कोई नवीनता देने के लिये पूरी मेहनत करते थे.उनकी हर धुन सिर्फ़ सुनाती ही नहीं थी, मगर उस भाव को दर्शाती थी. याने आप सिर्फ़ धुन सुन कर उस गीत के परिदृश्य का इंतेखाब कर सकते हैं आसानी से.
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उनके बारे में सही ही कहा है, देव आनंद नें (जिन्होने अपने लगभग हर फ़िल्म में - बाज़ी से प्रेम पुजारी तक सचिन दा का ही संगीत लिया था)- He was One of the Most Cultured & and Sophisticated Music Director,I have ever encountered !
किशोर कुमार को एक अलग अंदाज़ में गवाने का श्रेय भी दादा को ही जाता है. उन्होंनें देव आनंद के लिये किशोर कुमार की आवाज़ को जो प्रयोग किया वह इतिहास बन गया. बाद में राजेश खन्ना के लिये भी किशोर की आवाज़ लेकर किशोर को दूसरी इनिंग में नया जीवन दिया, जिसके बाद किशोर नें कभी भी पीछे मुड़ कर नही देखा.
उसके बावजूद, सचिन दा ने देव आनंद के लिये हमेशा ही किशोर से नहीं गवाया, बल्कि रफ़ी साहब से भी गवाया, जैसे जैसे भी गाने की ज़रूरत होती थी. तीन देवियां में - ऐसे तो ना देखो, और अरे यार मेरी तुम भी हो गज़ब, तेरे घर के सामने में तू कहां , ये बता और छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा,गाईड़ में तेरे मेरे सपने और गाता रहे मेरा दिल, आदि.
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अभी फ़िल्मी संगीत के आकाश पर विद्यमान एक महान , सर्वश्रेष्ठ गायक मन्ना डे साहब को दादासाहेब फ़ालके पुरस्कार से नवाज़ा गया. मन था कि उन पर भी कुछ लिखूं. मगर आज मन ये हो रहा है कि दिलीप के दिल से स्ट्रेट ड्राईव्ह मारूं और आपको आगे कुछ भी अधिक लिखने की बजाय, अपने एक खास कार्यक्रम - दिल का हाल सुने दिल वाला में से एक कव्वाली सुनाऊं, जिसे मन्ना दा नें अपने हरफ़न मौला स्वर में गाया है, और संगीत दिया है सचिन दा नें.
सचिन दा नें कव्वालीयां कम ही कंपोज़ की हैं, मगर यहां अपने आपमें कव्वाली और कोमेडी का बढियां ब्लेंडिंग किया है. बाकी रही बात मन्नादा के बारे में , तो हमारे हर दिल अज़ीज़ प्रसिद्ध उदघोषक , एंकर और मेरे अनुज मित्र श्री संजय पटेल से ही सुनें , जिनकी रसभरी वाणी में भी उनकी लेखनी की तरह सरस्वती का निवास है:
किसने चिलमन से मारा......