Wednesday, October 13, 2010

बेचारा झुमरू दिल - किशोर दा की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली..


आज हरफ़नमौला कलाकार किशोर कुमार की पुण्यतिथि पर मेरे दिल की गहराई से किशोर दा को विनम्र श्रद्धांजली ...

पिछले साल किशोर दा के कॊलेज इंदौर क्रिश्चियन कॊलेज में विडियो शूट करने का प्रयास किया था,जिससे बहुत ही भिशूण स्वानंद प्राप्त हुआ था. आपमें से कई वहां गये भी होंगे.मैने उसे इस ब्लोग पर भी पोस्ट किया था.

मुझे गुजिश्ता दिनों में कई मित्रों ने गुज़ारिश की कि उसे फ़िर दिखाया जाये. आपमें से कईयों नें तो देखा भी होगा.

इसलिये आधे दायें जाओ, आधे बांयें जाओ, और बाकी मेरे साथ चलो किशोर दा के किशोर युवा दिनों की यादें ताज़ा कर लें...दिलीप के दिल से....



जीवन में कई गानें गाये अभी तक..

रफ़ी साहाब, मन्ना दा , की गले की हरकतें और मुरकियां, मुकेशजी और तलत साहब की भावनाऒं और एहसासात से भरी दर्द भरे आर्त स्वर, हेमंत दा की धीर गंभीर आवाज़ और सबसे एल्हैदा किशोर दा की खिलंदड्पूर्ण लाईव गाना.... सभी गाने की कोशिश में लगा रहा. गायकों के अमृत सुरों की च्यवनप्राश खा कर एक बात साफ़ समझ में आ गयी.

किशोर दा जीवंत रियलिटी शो के मानींद गाते थे, मानों स्टुडियो भी स्टेज ही हो.उनके अंदर का अभिनेता गाना गाते हुए उनके गले में उतर जाता था.वे गायक नहीं थे, एक सांचे में ढली डेफ़िनेशन की बात करें तो.वे गाते हुए भी अभिनय करते थे, और अभिनय भी लय और सप्त सुरों जैसे सप्त रसों की छटा दिखाते हुए.

किशोर दा की थाली में आपको हर प्रकार के व्यंजन मिलेंगे. हास्य की मीठी रबडी, व्यंग्य की रसभरी जलेबी, दर्द भरी तिखी मिर्च से भरपूर सब्ज़ी, रोमांटिक कढी़... (य़े मैं नही, अमितकुमार नें एक बार बताया था!!)



मगर पता नहीं ये मूडी कलाकार ना जाने किस आशंका से हर दम किसी गिलहरी की तरह सहमें, डरे से रहते थे.सन १९८२ में अमेरिका में डिज़्नी लेंड में मेरे माता पिता नें किशोर दा को भी लाईन में लगे देखा तो पिताजी नें पास जाकर उनके पीठ पर हलके से धौल जमाई, जैसे कि वे कॊलेज दिनों में लगाया करते थे. तो किशोर दा एकदम घबरा के गंभीरता से कहने लगे कि भई मैं किशोर नहीं हूं.मुझे माफ़ करो. तो पिताजी नें उन्हे कॊलेज के दिनों की याद दिलाई और कुछ पुराने दिन शेयर किये.हालांकि पिताजी का सीधा संपर्क नहीं था किशोर दा से उन दिनों, मगर सांस्कृतिक कार्यक्रम की वजह से एक ही स्टेज शेयर ज़रूर किया था.अनूप कुमार भी सांस्कृतिक सचिव थे वहीं. तब कहीं जाकर किशोर दा कुछ संयत हुए और फ़िर मूड में आकर उन दिनों का नोस्टाजिया शेयर किया.केंटीन वाले के उधार पांच रुपय्या बारह आना भी!!!

किशोर दा मगर हमेशा दिल से झुमरू ही रहे...कई किस्से कई संस्मरण,क्या लिखें, बस आप और गीत यहां सुनें...

उनका सबसे पहला गीत.. फ़िल्म ज़िद्दी से, सन १९४८...

15 comments:

Mayur Malhar said...

bahut sunder sirji

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लेख, हमारी तरफ़ से भी किशोर जी को पुण्यतिथि पर श्रद्धांजली.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

मैं भी किशोर दा का मुरीद हूं.

Udan Tashtari said...

विनम्र श्रद्धांजली .

प्रवीण पाण्डेय said...

किशोर दा की तरंग देख मन झूम उठता है।

निर्मला कपिला said...

किशोर दा को हमारी भी विनम्र विनम्र श्रद्धांजली । धन्यवाद।

Alpana Verma said...

उनका सबसे पहला गीत.. फ़िल्म ज़िद्दी से, सन १९४८...
No audio player???

Please check ...
..........
Will come back again..

Alpana Verma said...

संस्मरण पढ़ा और विवरण भी बहुत ही अच्छा लगा .
किशोर जी के कॉलेज की विडियो देखी और आप का गाया गीत भी सुना .गीत हमेशा की तरह बहुत ही उम्दा गाया है ..ओरिजनल के बहुत करीब.
वाकई बहुत मेहनत करते हैं आप अपनी एक पोस्ट को बनाने में.
..........
किशोर दा को विनम्र श्रद्धांजलि.

प्रकाश गोविंद said...

आह ....किशोर दा की बात ही क्या
न जाने कितने गायक आये लेकिन किशोर दा ने दिल में जो जगह बनायी वो दूसरा कोई न बना सका .... उनके गाये गीत हमेशा मेरे साथ रहते हैं !
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आपने लाजवाब गाया है
आपके गायन में जबदस्त वेराईटी है
आप हर गाने को जिस तरह अपना बना लेते हैं वो अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है
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बताना चाहूँगा कि
आपकी हर पोस्ट को बहुत दिल से पढता रहा हूँ
बस काहिली की वजह से प्रतिक्रिया नहीं दे पाता :)

हार्दिक शुभ कामनाएं

दिलीप कवठेकर said...

आप सबके धन्यवाद!

ओडियो प्लेयर लगा दिया है.

डॉ .अनुराग said...

किशोर ओर मधुबाला के बारे में ' आहा -जिंदगी" पढ़ते हुए उनके व्यक्तित्व के बारे में कई जानकारी मिली .......उस हंसोड़ इंसान के पीछे एक ओर शख्सियत थी....जिसने दूर गगन की छाँव जैसी फिल्म दी......अल्पना जी ठीक कहती है आप एक पोस्ट के लिए बड़ी मेहनत करते है .रेयर विडियो

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

किशोर दा सचमुच लाजवाब हैं।
................
वर्धा सम्मेलन: कुछ खट्टा, कुछ मीठा।
….अब आप अल्पना जी से विज्ञान समाचार सुनिए।

शरद कोकास said...

हम किशोर दा को गर्व से याद करते हैं ।

ताऊ रामपुरिया said...

लाजवाब किशोरमयी पोस्ट, दुर्गा अष्टमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.

रामराम

Asha Joglekar said...

Wah Dileep jee aapke dil se nikalee is post ne dil jeet liya. Bahut sunder. hamari bhee shradhanjali is maskhare gayak ko.

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