
आज नशीली , जादुभारी आवाज़ की मलिक गीता दत्त का जन्म दिन है. अगर वे आज़ ज़िंदा होतीं, तो ८० वर्ष की होती!!
गेताजी के पुण्य तिथी पर कुछ खास लिखना चाहता था, मगर अब वे सुख भरे दिन बीते रे भैय्या... वाली स्थितियों के चलते हुए नही लिख पाया.गुरुदत्त जीकी पुण्य तिथी पर भी पिछले महिने कुछ नही लिख पाया.आज भी कुछ खास नही लिख पाउंगा.
याद आया कहीं पढा हुआ कि गुरुदत्त जी नें गीता रॊय से शादी के बाद अपनी हर फ़िल्म में गाने ज़रूर गवाये, जो काफ़ी मक़्बूल भी. मगर उन्होनें मात्र गीताजी के लिये बतौर हिरोईन एक फ़िल्म भी लॊंच की थी-’गौरी’, जो बंगला भाषा में बनने वाली थी और भारतीय फ़िमों के इतिहास में सबसे पहली सिनेमास्कोप फ़िल्म थी.
अगर वह फ़िल्म बनती तो पता नहीं हम गीता दत्त के रूप में एक अभिनेत्री से भी रूबरू हो जाते. फ़िर शायद सर्वकालीन कालजयी का़गज़ के फ़ूल बन पाती , जो लगभग उसी विषय वस्तु पर थी?

गुरुदत्त एक अफ़लातून , जिनीयस क्रियेटर या सर्जक थे, और अपने दिल की आवाज़ या सनक की वजह से फ़िल्म का विषय चुनते थे, और बिना ज़्यादह सोचे समझे फ़िल्म बनाना शुरु कर देते थे. उनके मित्र और लगभग हर फ़िल्म के लेखक जनाब अब्रार अल्वी नें उन्हे खूब समझाने की कोशिश की, कि बंगाली फ़िल्म तीन चार लाख में बनती थी क्योंकि उतना ही उसका रिटर्न होता था.जबकि हिंदी फ़िल्मों पर उन दिनों भी गुरुदत्त जी चालीस पचास लाख खर्च कर देते थे.
चलिये , आज उनके जिनीयस कलाकृतियों को World Cinema में पाठ्य पुस्तकों का दर्ज़ा मिलता है, मगर मैं तो गीता जी की मादक मगर शालीन आवाज़ के साथ उनकी सादगी भरी आंखों के भाव प्रवेणता का भी कायल था, और अवश्य गुरुदत्त जी के सधे हुए निर्देशन में हम एक बढिया अभिनेत्री को अपने बीच पाते.
चलिये, आपको गीताजी के एक बहुत ही बढियां गीत का कवर वर्शन सुनाते हैं जिसे हमारे ब्लोग दुनिया की हरफ़नमौला कलाकार और कवियत्री सुश्री अल्पना वर्मा नें गाया है.
जाने क्या तूने कही, जाने क्या मैने कही, बात कुछ बन ही गयी....
अल्पनाजी वैसे हर गायिका के गानेंगाती हैं, मगर मुझे उनकी आवाज़ में गीता दत्त के मासूमियत भरे स्वर नज़दीक प्रतीत होतें हैं.
वैसे चलते चलते बता दूं, कि जिस समय गौरी फ़िल्म के निर्माण की बात चल रही थी, उसके पहले गुरुदत्त जी नें Women in White’ की कथावस्तु पर राज़ फ़िल्म का निर्माण शुरु किया था जिसमें वहिदा और सुनील दत्त थे. इस फ़िल्म के १०-१२ रीलें भी बन गयी थे. मगर वह फ़िल्म भी डब्बा बंद हो गयी...
पता है उस फ़िल्म में पहली बार संगीत कौन दे रहे थे?
जी हां.. राहुल देव बर्मन!!!! (What a rare combination! RD & Gurudutt!!!!)