Sunday, November 14, 2010
इब्तदा ए इश्क में हम सारी रात जागे-
अभी अभी एक मराठी नाटक देख कर आया हूं, जिसमें एक बडा ही पावरफ़ुल डायलोग था:
If you want to close chapter, you have to hate the thing you LOVE most.
बात सीधी दिल में उतर गयी,और अब दिलीप के दिल में से दिलीप के दिल से के फ़लक पर....
आज से दो चार साल पहले इस बात का इल्म हो गया था कि ज़िंदगी में अगर ऊपर जाना हो तो किसी की सर पर तो पांव रखना पडेगा. लेकिन मैं किसी की बडी लकीर को छोटी करने का गुनाह कर नही पाया तो अपनी ही दूसरी लकीर छोटी कर ली.
मैं बात कर रहा हूं अपने पहले पहले प्यार की... याने संगीत और गायन के अपने शौक की....
इसिलिये दो तीन साल पहले मैने भी सोच लिया कि Now its time to close chapter of Music. सो एक अंतिम प्रोग्राम कर मैने अपने एमेच्युअर शौक की इतिश्री कर ली.
और फ़िर झौंक दिया अपने आप को अपने प्रोफ़ेशन के प्यार में .( I genuinely LOVE my profession-By the way).वैसे भी एजिप्ट में प्रोजेक्ट शुरु होने से आधे से भी ज़्यादह महिना वहां कटता है.
But I could not hate that thing I LOVED most. MUSIC.
इन्ही दिनों जब पुराने घाव एक दिन हरे हो गये, और मै लिमका से अपने ग़म ग़लत कर रहा था , तो मेरे अंतर्मन मित्र ने बोला... इब्तदा ए इश्क में रोता है क्या...आगे आगे देख अब होता है क्या...
सोच कर एक दिन अपनी वाली पर आ गया.. याने एक प्रोग्राम को हां कह दिया.
अब सिर मुंडवाते ही ओले पडे. कार्यक्रम के दो दिन पहले तक तो इजिप्ट में ही साईट पर दंड बैठक लगाना पड रहे थे, तो रियाज़ का क्या होता?(यकीन मानिये ...बिन रियाज़ सब सून- गुलाम अली साहब के शब्द याद आ गये)
तभी सोचा सुएज़ से कैरो आने जाने के एक एक घंटे में ही रियाज़ की जायी. ड्राईवर भी टेंशन में आ गया, आज साहब नें उसके अरबी गाने क्यूं बंद करवा दिये, और खुद चालू हो गये ... ये इंडियन भी छः महिने चुप रहते हैं और छः महिने गाते रहते होंगे!!!
वैसे प्रोग्राम की शाम के एक दिन पहले तक हमें खुटका था,कि अल्लाह जाने क्या होगा आगे, मौला जाने क्या होगा आगे....
kuwait Airport पर Transit में दो भारतीयों नें जो नवरतन तेल चुपड रखा था कि नाक बहने लगी और गले में खराश आ गयी. मैने तो पूछ ही लिया उनसे, कि भाईसाहब क्या यहां ये तेल मुफ़्त में मिलता है
?
तो भाईयों और बहनों, दिल थाम के बैठें... हम आ रहे हैं, इतने सालों बाद स्टेज पर, और आपके पेशे खिदमत है ये सुरीला दोगाना फ़िल्म हरियाली और रास्ता का ---
इब्तदा ए इश्क में हम सारी रात जागे,
अल्लाह जाने क्या होगा आगे, मौला जाने क्या होगा आगे...
आगे क्या हुआ अब आप खुद ही चेक कर लिजिये!!!!
मुकेशजी की जगह अपुन, और लताजी की जगह अदिती दिक्षित.१६ साल की इस लडकी की आवाज़ में सुरीलापन , सोज़, और लोच है. शायद इसिलिये ज़ी टीव्ही के लिये सा रे गा मा प में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी रही और जैसा कि मुझे बताया है पहले २० में आ गयी थी. बाद में १८ में नही आ पायी दुर्भाग्य से.
अभी काफ़ी इम्प्रूव्हमेंट करना है, खास कर आवाज़ के थ्रो और पॊवर में... चलो अगली बार सही...
और भी बहूत बहूऊऊऊत गाने गाये जी भर के, (सारी रात तो नहीं जागे!!दूसरे भी गायक गायिका थे जनाब.)
सोलो में - मुकेशजी का - ओ मेहबूबा, तेरे दिल के पास ही है मेरी मंज़िले मकसूद....
हेमंत दा का - ना तुम हमें जानो, ना हम तुम्हे जानें..
और रफ़ी जी का - बदन पे सितारे लपेटे हुए...
और ड्युएट में - ये गीत,
- झूमता मौसम मस्त महिना..और ओ मेरी मैना...( मन्ना दा )
- दम भर जो इधर मूंह फ़ेरे ( मुकेशजी)
- आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे (रफ़ी जी)
और अंत में एक चतुर नार ( कई हज़ारों बार.. इसक चर्चा अगली बार)
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10 comments:
मुकेश का गीत और किशोर की ऊर्जा। सुनकर आनन्द आ गया। अदिति जी को शुभकामनायें, भविष्य पलक पाँवड़े बिछाये प्रतीक्षा करेगा।
aapka chaturnaar to bahut yaad hai mamaji :) use hi sun sun ke bachpan se gaane ka shauk laga tha. Aapke saath khud ki shadi me vo gana ga ke main dhanya ho gaya
welcome back
DJ
"Bahut Na Insafi Hai". Indore mein aap ka jalwa aise bikhare, aur hum "Palakhi liye huwe kahar dekhate rahe"! Iss jurm ki saza zuroor milegi.
Next week, Basanti ji, hamare aadmi tumhe charoo aur se gherenge. Yaad rahe, Veeru ko hum pahele hi khareed chuke hain. Aur haan, Mausi bhi tayyar hai.
So be prepared. The wolf is at the door.
दिलीप भाई
बूढ़ा शेर भी हो न तो भी शिकार पर जाने की रिहर्सल नहीं करता...वह तो बस कर डालता है.
आपमें एक ऐसी संगीत रूह बसती है जो चौबीस घंटा संगीत का काम करने वालों में भी नहीं नज़र आती.
आप एक सिध्दहस्त इंजीनियर तो ठेठ से रहे हैं लेकिन गायक तो कुदरतन आपमें गूँजता रहता है. आप कनाडिया में रहें या कनाड़ा में आप पर संगीत की सवारी आई....कि बदला माहौल....तमाम यश,वैभव और क़ामयाबी में भी आप सुरीले दिलीप को मार नहीं सकते जानी.
अहा आनंद आ गया दोगाना सुन कर आप तो खैर हैं ही जोरदार अदिति जी भी कम नहीं । आवाज थोडी बच्चों वाली है अभी पर आगे देखिये कैसे निखरती है ।
दिलीप जी, आनन्द आ गया! शुक्रिया!
अदिति और आप का गाया गीत बहुत ही अच्छा लगा..आप का प्रोग्राम सफल रहा जान कर खुशी हुई..आभार इस रिकॉर्डिंग को हम तक पहुँचाने के लिए ..
अदिति और आप का गाया गीत बहुत ही अच्छा लगा..आप का प्रोग्राम सफल रहा जान कर खुशी हुई..आभार इस रिकॉर्डिंग को हम तक पहुँचाने के लिए ..
बहुत सुन्दर, अपने पहले प्यार को जारी रखें।
इब्तिदाए इश्क में हम सारी रात जागे' गाना सुनने से ज्यादा मैंने देखा.स्टेज पर आपका हाव भाव सहित गाने को प्रस्तुत करना बहुत ही अच्छा लगा.आपकी बोडी लेंगुएज गाने को ज्यादा प्रभावशाली बना रही है.वास्तव में स्टेज पर कई लोग गाते अच्छा है किन्तु उनका प्रजेंटेशन इतना असरदार नही हो पाता.....आपको तो सुनना पडेगा भई.लगता है जल्दी ही मिलने का कोई प्रोग्राम बनाना पडेगा हा हा हा.जियो.और खूब गुनगुनाते रहो.ईश्वर आपके जीवन को खूबसूरत गीत में बनाये और उसे मधुर रागों से सजाये.नववर्ष शुभ हो.
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