Tuesday, November 23, 2010

गीता दत्त की मासूमियत भरी अदाकारी


आज नशीली , जादुभारी आवाज़ की मलिक गीता दत्त का जन्म दिन है. अगर वे आज़ ज़िंदा होतीं, तो ८० वर्ष की होती!!

गेताजी के पुण्य तिथी पर कुछ खास लिखना चाहता था, मगर अब वे सुख भरे दिन बीते रे भैय्या... वाली स्थितियों के चलते हुए नही लिख पाया.गुरुदत्त जीकी पुण्य तिथी पर भी पिछले महिने कुछ नही लिख पाया.आज भी कुछ खास नही लिख पाउंगा.

याद आया कहीं पढा हुआ कि गुरुदत्त जी नें गीता रॊय से शादी के बाद अपनी हर फ़िल्म में गाने ज़रूर गवाये, जो काफ़ी मक़्बूल भी. मगर उन्होनें मात्र गीताजी के लिये बतौर हिरोईन एक फ़िल्म भी लॊंच की थी-’गौरी’, जो बंगला भाषा में बनने वाली थी और भारतीय फ़िमों के इतिहास में सबसे पहली सिनेमास्कोप फ़िल्म थी.

अगर वह फ़िल्म बनती तो पता नहीं हम गीता दत्त के रूप में एक अभिनेत्री से भी रूबरू हो जाते. फ़िर शायद सर्वकालीन कालजयी का़गज़ के फ़ूल बन पाती , जो लगभग उसी विषय वस्तु पर थी?

गुरुदत्त एक अफ़लातून , जिनीयस क्रियेटर या सर्जक थे, और अपने दिल की आवाज़ या सनक की वजह से फ़िल्म का विषय चुनते थे, और बिना ज़्यादह सोचे समझे फ़िल्म बनाना शुरु कर देते थे. उनके मित्र और लगभग हर फ़िल्म के लेखक जनाब अब्रार अल्वी नें उन्हे खूब समझाने की कोशिश की, कि बंगाली फ़िल्म तीन चार लाख में बनती थी क्योंकि उतना ही उसका रिटर्न होता था.जबकि हिंदी फ़िल्मों पर उन दिनों भी गुरुदत्त जी चालीस पचास लाख खर्च कर देते थे.

चलिये , आज उनके जिनीयस कलाकृतियों को World Cinema में पाठ्य पुस्तकों का दर्ज़ा मिलता है, मगर मैं तो गीता जी की मादक मगर शालीन आवाज़ के साथ उनकी सादगी भरी आंखों के भाव प्रवेणता का भी कायल था, और अवश्य गुरुदत्त जी के सधे हुए निर्देशन में हम एक बढिया अभिनेत्री को अपने बीच पाते.

चलिये, आपको गीताजी के एक बहुत ही बढियां गीत का कवर वर्शन सुनाते हैं जिसे हमारे ब्लोग दुनिया की हरफ़नमौला कलाकार और कवियत्री सुश्री अल्पना वर्मा नें गाया है.

जाने क्या तूने कही, जाने क्या मैने कही, बात कुछ बन ही गयी....


अल्पनाजी वैसे हर गायिका के गानेंगाती हैं, मगर मुझे उनकी आवाज़ में गीता दत्त के मासूमियत भरे स्वर नज़दीक प्रतीत होतें हैं.

वैसे चलते चलते बता दूं, कि जिस समय गौरी फ़िल्म के निर्माण की बात चल रही थी, उसके पहले गुरुदत्त जी नें Women in White’ की कथावस्तु पर राज़ फ़िल्म का निर्माण शुरु किया था जिसमें वहिदा और सुनील दत्त थे. इस फ़िल्म के १०-१२ रीलें भी बन गयी थे. मगर वह फ़िल्म भी डब्बा बंद हो गयी...

पता है उस फ़िल्म में पहली बार संगीत कौन दे रहे थे?

जी हां.. राहुल देव बर्मन!!!! (What a rare combination! RD & Gurudutt!!!!)

27 comments:

Anonymous said...

23 Nov-birth anniversary of my favorite singer Geeta dutt who had beautiful innocent pure voice.
Who can forget her?

Very well written article.
Song sung by Alpna is also very well rendered.She has very sweet voice.
Wonderful tribute to Geeta Dutt.

-Dr.S.Sinha

प्रकाश गोविंद said...

गीता दत्त नाम ही ऐसे जादुई आकर्षण का है कि
डेशबोर्ड पर उनका नाम देखते ही तत्काल खिंचा चला आया.
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गीता जी की चमक गायकी के नक्षत्र में सदैव कायम रहेगी. उनकी आवाज में जो कशिश थी, उसकी मदहोशी में हमेशा संगीत प्रेमी डूबे रहेंगे.
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अल्पना जी जब गीता जी के गानों को गाती हैं तो बहुत अच्छा लगता है. मैंने उनसे यह बात बहुत पहले ही कही थी. कई गानों की जब उनसे फरमाईश की तो उन्होंने काफी हद तक उन गानों बहुत ही खूबी के साथ गाया.
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आपने आज गीता जी की पुण्य तिथि पर उनके ऊपर पोस्ट लिखकर सच्चे संगीत साधक होने का एक बार फिर सबूत दिया.
बहुत ... बहुत ख़ुशी हुयी ....
आपका आभार

Smart Indian said...

सुन्दर पोस्ट। याद दिलाने के लिये धन्यवाद। गीता दत्त की जादुई आवाज़ अनोखी थी। इतने वर्षों के बाद भी उनके गीतों का जादू वैसा ही बना हुआ है। उनके जन्मदिन पर उनका गीत उनकी ही डिवाइन आवाज़ में होता तो और भी अच्छा होता।

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़े सुरीले गाने गाये हैं गीतादत्त जी ने।

Alpana Verma said...

''गुरुदत्त जी के सधे हुए निर्देशन में हम एक बढिया अभिनेत्री को अपने बीच पाते.''
आप की इस बात से सहमत.वे एक सफल , लोकप्रिय और बहुत ही अच्छी गायिका थीं यह सब जानते हैं लेकिन एक अच्छी अभिनेत्री भी थीं इस बात से अधिक लोग वाकिफ नहीं हैं.
गीता जी के जन्मदिवस पर उन्हें याद कर के अच्छी श्रृद्धांजलि दी है.
मेरे गाये कवर गीत को इस पोस्ट में स्थान दे कर आप ने मेरा मान बढ़ा दिया.ये मेरा अपनी क्षमता में एक छोटा सा प्रयास भर था.
आप का बहुत बहुत आभार.

ताऊ रामपुरिया said...

हर पहलू से सुंदर और सार्थक पोस्ट, बहुत आभार आपका. प्रणाम.

रामराम.

Alpana Verma said...

@डॉ.एस.सिन्हा जी ,आप को मेरी आवाज़ और गीत पसंद आया . तहे दिल से धन्यवाद.
@प्रकाश जी,गीता जी का गाया 'तदबीर से बिगड़ी हुई'आप के सुझाव पर ही गाने का प्रयास किया था जो मेरा अब तक का सबसे बेहतरीन कवर कहा गया है .
@दिलीप जी आप ने कहा 'मुझे उनकी आवाज़ में गीता दत्त के मासूमियत भरे स्वर नज़दीक प्रतीत होतें हैं.'
अगर आप को ऐसा लगता है तो इसे मैं ईश्वर का आशीर्वाद मानती हूँ.
गीता जी को हम इसी तरह अपनी यादों में बसाये रखें..उनके गीतों को नयी हवा में खोने न दें..बस कवर गीत गाने का यही कारण होता है.
आप सभी का आभार.

हरकीरत ' हीर' said...

दिलीप जी बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पे आना हुआ .....
आज अल्पना जी के ब्लॉग पे आपका कमेन्ट देखा तो सीधे चली आई .....
गीता दत्त के जन्मदिन पर उन्हें याद करने का शुक्रिया .....
एक फनकार दुसरे फनकार को इससे बड़ा तोहफा और क्या दे सकता है .....
अल्पना जी ने खूब गया उनका गीत ....
जाने क्या तूने कही, जाने क्या मैने कही, बात कुछ बन ही गयी....
बहुत अच्छी आवाज़ है अल्पना जी की .......सही कहा आपने हरफनमौला है बिलकुल ....!!

Asha Joglekar said...

Geeta ji kee awaj fir se sun kar baht hee achcha laga. Aur unke aur gurudatt ji ke bare men naee jankare bhee.

Mayur Malhar said...

सुंदर प्रस्तुति. गीताजी के लिए मैं कहूँगा की न भूतो न भविष्यति

Mayur Malhar said...

पता नै क्यों मुझे गीताजी और ओपी नैय्यार्जी के गीत
ज्यादा पसंद हैं.

Thakur M.Islam Vinay said...

पांच लाख से भी जियादा लोग फायदा उठा चुके हैं
प्यारे मालिक के ये दो नाम हैं जो कोई भी इनको सच्चे दिल से 100 बार पढेगा।
मालिक उसको हर परेशानी से छुटकारा देगा और अपना सच्चा रास्ता
दिखा कर रहेगा। वो दो नाम यह हैं।
या हादी
(ऐ सच्चा रास्ता दिखाने वाले)

या रहीम
(ऐ हर परेशानी में दया करने वाले)

आइये हमारे ब्लॉग पर और पढ़िए एक छोटी सी पुस्तक
{आप की अमानत आपकी सेवा में}
इस पुस्तक को पढ़ कर
पांच लाख से भी जियादा लोग
फायदा उठा चुके हैं ब्लॉग का पता है aapkiamanat.blogspotcom

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपने पुरानी यादों को ताजा कर दिया। आभार।

---------
आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

गीता और गुरु उच्च कोटी के कलाकार थे पर वे इंसान भी थे और बहोत बड़ी कीमत अदा की उन्होंने अपनी कला और जिंदगानी के
वास्ते - आपके साथ हमारी भी श्रध्धांजलि कुबूल फरमाएं
स-- स्नेह
- लावण्या

Creative Manch said...

नववर्ष २०११ की हार्दिक शुभकामनाएँ.

.......................
ऑडियो क्विज़
हर रविवार प्रातः 10 बजे

Unknown said...

जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्‍योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.

@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्‍योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"

जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?

जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.

आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.

आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?

वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.

हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.

सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी

Unknown said...

जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्‍योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.

@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्‍योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"

जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?

जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.

आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.

आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?

वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.

हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.

सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी

Mayur Malhar said...

sir EK SAAL ho gaya nayi posting ko.khurakh nahi mili.

Mayur Malhar said...

happy new year late keh raha hoon.

निर्मला कपिला said...

सुंदर प्रस्तुति. अभार।

Patali-The-Village said...

सुन्दर पोस्ट। धन्यवाद|

Anonymous said...

दिलीप के दिल को सुकून कैसे मिलेगा ,बोलो?२३ नवम्बर २०१० के बाद कोई पोस्ट नही डाली.संगीत प्रेमी! रह कैसे लेते हो इस संगीत के बिना ? रोज आती हूँ शायद कुछ नया सुनने को ,पढ़ने को मिल जाये...किन्तु....जाने किस दुनिया में रहते हो? इन दिनों मैंने कई बहुत ही प्यारे प्यारे गाने सुने हैं.बताऊं?क्यों बताऊं?
पहले पोस्ट डालो. ओर समय मिले टो राहगीर फिल्म का 'मितवा भूल गए राहे मितवा'सुनो.

दिलीप कवठेकर said...

अवश्य डालूंगा.
kindly motivate me like that only.

adil farsi said...

गीतादत्त जी के गाये गीतों मे गांव कि मिट्टी की सोंधी-सोंधी महक आति थी जैसे -भंवरा बड़ा नादान है, वक्त ने किया क्या हंसी सितम,ना ये चाँद होगा.... अल्पना जी ने सुन्दर गाया बधाई स्वीकारे

निर्मला कपिला said...

vaah aate hi man pasand geet suna. dhanyavad keval isi blog par aayee hoon .hindi tool nahin chala. bas kuch din me regular hoti hoon. dhanyavaad phone se mujhe bahut khushi huyee aur khushi se oorja milee--- isi liye jaldi thheek hone lagi. dhanyavad sada khush raho. aasheervaad.

Smart Indian said...

दिलीप भाई,
आपकी अगली पोस्ट का इंतज़ार है। आपको, परिजनों तथा मित्रों को दीपावली पर मंगलकामनायें! ईश्वर की कृपा आपपर बनी रहे।

********************
साल की सबसे अंधेरी रात में*
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी

बन्द कर खाते बुरी बातों के हम
भूल कर के घाव उन घातों के हम
समझें सभी तकरार को बीती हुई

कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
प्रेम की गढ लें इमारत इक नई
********************

Asha Joglekar said...

क्या हुआ दिलीप जी के दिल को । आशा है सब चंगा है ।

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