गीता दत्त , या गीता रॊय…
एक अधूरी सी कविता , या बीच में रुक गयी फ़िल्म , जो अपने मंज़िल तक नहीं पहुंच पायी.
क्या क्या बेहतरीन गीत गायें थे ..
दर्द भरे भाव, संवेदना भरे स्वर को अपनी मखमली मदहोश करने वाली आवाज़ के ज़रिये.
गीता दत्त रॉय, पहले प्रेमिका, बाद में पत्नी.सुख और दुःख की साथी और प्रणेता ..
अशांत, अधूरे कलाकार गुरुदत्त की हमसफ़र..
क्या क्या नहीं कहा जा चुका है, गीता दत्त के बारे में.
उनका एक गीत तो कालातीत है, अमर है. उस गीत नें इतिहास रच डाला.
अपने भाव भरे बोल , कलेजे को चीर देने वाली धुन, विश्व स्तरीय निर्देशन और चित्रांकन, सिनेमेटोग्राफी की टेक्स्ट बुक में दर्ज़
वक्त नें किया क्या हसीं सितम, तुम रहे ना तुम , हम रहे ना हम….
गुरुदत्त पर संगीत को समर्पित शीर्ष ब्लोग हिन्दयुग्म के आवाज़ पर नश्र किये गये इस पोस्ट को अगर पढें ….
(गुरुदत्त इस क्लाईमेक्स की सीन में कुछ अलग नाटकीयता और रील लाईफ़ और रियल लाईफ का विरोधाभास प्रकाश व्यवस्था की माध्यम से व्यक्त करना चाहते थे. ब्लेक एंड व्हाईट रंगों से नायक और नायिका की मन की मोनोटोनी ,रिक्तता , यश और वैभव की क्षणभंगुरता के अहसास को बड़े जुदा अंदाज़ में फिल्माना चाहते थे…Contd…)
इस गीत के बारे में विस्तार से …
गुरुदत्त- एक शांत अधूरा कलाकार ! --- वक्त नें किया ,क्या हसीं सितम... देखें और पढें..
http://podcast.hindyugm.com/2008/10/remembering-gurudutt-genius-film-maker.html
स्वयं लताजी नें भी इस खरगोशी आवाज़ के बारें , और उस गीता दत्त के मन के एहसासात के बारे में एक हमसफ़र के तौर पर जो भी महसूस किया वह यहां बखूबी सुना जा सकता है.उनकी खुद की रूहानी आवाज़ में…
एक और नयी बात पता चली. एक बहुत ही शानदार साईट उपलब्ध है गीता जी के चाहने वालों के लिये, जहां इस गुणी कलाकार के जीवन के हर अनछुए पहलु से रू ब रू कराया गया है.गीतों की फ़ेरहिस्त, जीवनी, सुहाने चित्र और जो दिल को सुकून दे ऐसे गाने…
आज गीता जी का एक और नया गीत सुनने को मिला. गीत के बोल हैं -
एक बात सुनाती हूं, किसी से ना कहना…
इस गीत की खासियत ये है, कि इसे पाकिस्तान के मशहूर लिजेंडरी संगीतकार बाबा जी. ए चिश्ती ने स्वरबद्ध किया है ,जिन्हे पाकिस्तानी फ़िल्मी संगीत जगत के जनक माना जाता है. सन १९५६ की एक फ़िल्म के लिये इसे रिकोर्ड किया गया था पाकिस्तानी फ़िल्म मिस ५६ के लिये, मगर बाद में इसी गीत को अंततः पाकिस्तानी गायिका नाहीद नयज़ी नें गाया.
(शायद पहले ये फ़िल्म यहां बनने वाली थी. लारा लप्पा गर्ल मीना शोरी के पति रूप के शोरी इसे यहां बनाने वाले थे. मगर बाद में ये तय हुआ कि इसे पाकिस्तान में बनाया जायेगा. इसीलिये फ़िर इन्ही गानों को वहां फ़िर से गवाया गया) . वैसे कुल मिला कर चार गाने गाये गये थे इस फ़िल्म के लिये हिंदुस्तानी कलाकारों ने, जिसमें एक गीता जी नें और गाया था -
ऐरे गै़रे नत्थु खैरे, घबरा गये…,और दो ड्युएट – जिन्हे बाद में सुरों के शहंशाह जनाब मेहंदी हसन जी नें गाया.(ये ७८ rpm पर उपलब्ध है)
तो सुनिये यह गीत….
मैं तो जब भी गीताजी के गाये गानों की लिस्ट पढता हूं, उनके सबसे पहले प्रसिद्ध हुए गाने में उनके जीवन का फलसफा पाता हूं…..जो फ़िल्म दो भाई के लिये सचिन देव बर्मन दा के लिये सन १९४६ में गाया था;
मेरा सुंदर सपना बीत गया,
मैं प्रेम में सब कुछ हार गयी, बदर्द ज़माना जीत गया, मेरा सुंदर सपना बीत गया….
क्या उनके भविष्य के प्रेम कहानी के खत्म होने का, जीवन के संगीत के जाने का यह पूर्वाभास था?…
(चित्र साभार – गीतादत्त डॊट कॊम)
11 comments:
आनन्द आ गया. गीता दत्त जी के बारे में जानकारी का आभार. सुन्दर आलेख.
एक गंभीर संगीत-प्रेमी की शोधपूर्ण श्रद्धान्जली । बहुत शुक्रिया। गीता दत्त के आखिरी गीतों का दौर उनके भाई कनु रॉय के संगीत में ढली अनुभव और आविष्कार । कम से कम और एक किश्त प्रस्तुत करें - गुजारिश है ।
अवश्य.एक किश्त और बुधवार को.
जैसा कि कई लोगों का मानना है, कनु रॊय गीता दत्त रॊय के भाई नहीं थे.
धन्यवाद,
आज तो आपने अनमोल खजाना ही पढवा और सुनवा दिया. शाम को फ़ुरसत से सारे गाने सुनेंगे. बहुत धन्यवाद आपका.
रामराम.
गीता दत्त जी की आवाज़ में जो कशिश रही वह फिर किसी की आवाज़ में नहीं मिली यह भी तय है.
लेकिन उन्होंने बहुत कम गीत गए .आप ने जानकारी अच्छी दी है..गीता दत्त की दूसरी साईट भी देखी.
उनके गीत भी पसंद आये.मेरा सुन्दर सपना बीत गया उन्होंने १६ साल की उम्र में गया था[ऐसा सुना है]
मुझे तो याद ही नहीं रहा की कल उनकी पुण्यतिथि थी नहीं तो पोस्ट में उन्हीं को समर्पित कोई गाना प्रस्तुत करती.बुधवार की कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी.
गीता दत्त जी की आवाज़ में जो कशिश रही वह फिर किसी की आवाज़ में नहीं मिली यह भी तय है.
लेकिन उन्होंने बहुत कम गीत गए .आप ने जानकारी अच्छी दी है..गीता दत्त की दूसरी साईट भी देखी.
उनके गीत भी पसंद आये.मेरा सुन्दर सपना बीत गया उन्होंने १६ साल की उम्र में गया था[ऐसा सुना है]
मुझे तो याद ही नहीं रहा की कल उनकी पुण्यतिथि थी नहीं तो पोस्ट में उन्हीं को समर्पित कोई गाना प्रस्तुत करती.बुधवार की कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी.
एक ही पोस्ट पर एक साथ कई अनमोल जानकारियां साथ ही सदाबहार गीतों कि सौगात भी.
ऐसे अमूल्य पोस्ट का मै शुक्रिया मैं किस तरह अदा करुँ, समझ नहीं आ रहा है, डर है कि कहीं कोई कमी न रह जाय...........जो भी लिखा, जैसा भी लिखा उचित ही समझना, ऐसी अपेक्षा है.
हार्दिक आभार.
दिलीपभाई
बहुत उम्दा लेख है | कनु रोय तो पता नहीं पर मुकुल रोय गीता जी के भाई थे जिन्होंने फिल्म डिटेक्टिव में संगीत दिया थाhttp://www.youtube.com/watch?v=Kt9Lpzcsrfg | इस फिल्म का एक बहुत सुन्दर गीत गीताजी के स्वरमें इस लिंक पर सुना जा सकता है | एक और गीत हेमंत दा के साथ गया हुआ भी मुजे बहुत पसंद है |
धन्यवाद |
-हर्षद जांगला
एटलांटा युएसए
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