Wednesday, October 15, 2008

किशोर कुमार के स्मृति में अनसुने पुराने गानों का कार्यक्रम

कड़ी - २

आपने वह गाना तो सुना ही होगा ,किशोर दा का.

वादा तेरा वादा , वादा तेरा वादा, वादे पे तेरे मारा गया , बंदा मैं सीधा साधा... , वादा तेरा वादा...

जी हां, मैंने आपसे वादा किया ज़रूर था , और आप भी ये गाना गा कर , एक सीधे साधे बंदे की तरह मुझे लानत तो नहीं भेज रहे होंगे, मगर खुश भी नहीं हुए होंगे.

लगभग ढ़ाई महिने पहले जब मैंने ब्लॉग का उपक्रम प्रारंभ किया था, तो ये मेरे कई प्रोजेक्टस की तरह एक था. मगर , बाद में यह मेरे दिल के करीब आता चला गया, अनजाने में, और जैसा की होता आया है, इसने नं.१ की पोजिशन प्राप्त कर ली है. साथ ही जैसा आगे होना था, प्रोजेक्ट के समय पर समाप्ति के वादे का टेंशन भी साथ साथ आने लगा.

होना यूँ था कि मैंने रफी साहब की कड़ी शुरू की थी. एक Engineer/Architect की तरह हर पोस्ट को प्लान किया, डिझाईन किया . रफ़ी साहब के अनेक रंग , अलग अलग छटा लिए गीतों का गुलदस्ता बनाते बनाते इन सभी का प्यार मुझे कब यहाँ ले आया पता ही नहीं चला .

पिछले महिने में विशेष हस्तियों के नाम पर काफ़ी कुछ लिखना चाहता था, जैसे लता जी, आशा जी, महेन्द्र कपूर , हसरत जयपुरी, आदि.

अब इस महिने विशिष्ट हस्तियां है, गुरुदत्त , फ़िर अमिताभ, अभी किशोर दा, फ़िर बेग़म अख़्तर आदि.पुराना प्रोजेक्ट तो अटक ही गया, नये भी ठीक से smoothly नहीं जा पाये. खै़र फ़िर अगले हफ्ते से वापिस अपने पहले वाले मकाम पर.

मैं आपसे कह रहा था कि किशोर कुमार के स्मृति में ता. १२ अक्तूंबर को इन्दौर के पास करीब १५-२० किमी ग्राम पिगडंबर में एक नये सुर आश्रम लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफ़ोन रेकॉर्ड संग्रहालय में उनके कोई २० अनसुने, मधुर गीतों की रिकॊर्डस को पुराने रिकॊर्ड चेंजर पर बजा कर सुनवाया गया.

ये सौगात हमें दी है जाने माने ग्रामोफ़ोन रेकॉर्ड संकलनकर्ता श्री सुमन चौरसिया नें, जिनके पास हज़ारों की तादात में अलग अलग भाषाओं में दुर्लभ संगीत रचनाओं,गानों के रिकॊर्ड्स का संग्रह है. ये संग्रहालय अभी पिछले दिनों लताजी के जन्म दिवस के पहली संध्या को ही लोकार्पित हुआ है, और हम आप जैसे शौकीन और समझू सुनकारों और कानसेनों के लिये ही ख़ास है.


इस स्वर महर्षि नें अपने सारा घर बार, जमीन जायज़ाद की आहुति इसी स्वर याग में दे कर ये अनूठा, और बेमिसाल तोहफ़ा देकर हमें उपकृत किया है.

उस दिन रेखांकित करने योग्य एक बहुत महत्वपूर्ण बात यह थी, कि जैसा न्योते में कहा गया था, कार्यक्रम ठीक ३.५५ को सुमन जी नें शुरु करवा दिया. वे कह रहे थे की चाहे इतनी दूर कोई भी नहीं आये, या देर से आये, वे तो मात्र एक श्रोता को भी सुनवाना पसंद करेंगे, जो समय पर आ जायेगा.

पूरे कार्यक्रम की अवधि थी दो घण्टे से थोडा़ कम, और इन पूरे लमहों में हम जैसे स्थान और स्वयम की सुध बुध खो उन पुराने गीतों की मेलोडी में, उनके संगीतकारों के किये गये प्रयोगों में , और उसके विष्लेषण में इतना घुल मिल गये , कि होश ही नही रहा कि कब शाम ढल गयी. गांव के सुरम्य वातावरण में उस दिन वहां उपस्थित हर श्रोता डूबते सूरज की किरणों पर मन को सवार कर, किशोर कुमार के गाये एकल और दोगानों में जीवन का हर रंग ढूंढने में लग गया. खेमचंद्र प्रकाश से हेमंत कुमार नें अपने मधुर स्वरांकन से सजाये इन गीतों में गोधुली की उस पावन बेला पर घर लौटते हुए गायों के घुंगरूंओं की ताल मिल कर एक स्वर्गिक सुख का अनुभव करा रही थी.
(चित्र ’नई दुनिया ’ से साभार)

अब चलियें गीतों की लिस्ट पर नज़र डा़लें :

१. मरने की दुआएं क्यूँ मांगू - जिद्दी - खेमचंद्र प्रकाश
२. जगमग जगमग दीप - रिमझिम - खेमचंद्र
३. लहरों से पूछ लो (लता) - काफ़िला - हुस्नलाल भगतराम
४. हुस्न भी है उदास उदास - फ़रेब - अनिल विश्वास
५. भूलने वाले - गैर फिल्मी - भोलानाथ
६. आरारम,ताराराम - आवाज़ - सलिल चौधरी
७. तू चन्दा तो मैं हूँ चकोर (लता) - आगोश - रोशन
८. मैं हंसूं या रोऊँ - माँ (अप्रदर्शित फ़िल्म) - चित्र गुप्त
९. मोहे ला दे नौलखा हार (शमशाद) - नौलखा हार - भोला श्रेष्ठ
१०. चुप हो जा तेरे लिए -बंदी - हेमंत कुमार
११. ताकत के पंजे में - कहीं अँधेरा ,कहीं उजाला - ओ.पी. नय्यर
१२. पायलवाली देखना - एक राज - चित्रगुप्त
१३. दो आखें ज़नानी (आशा) - दाल में काला - सी. रामचंद्र
१४. पहली ना दूसरी - मदभरे नैन - एस.डी. बर्मन
१५. काली काली रातों - जोरू का भाई - जयदेव
१६. मेरे जीवन की रेल - महलों के ख़्वाब - एस. डी. बर्मन
१७. बंगला गीत जो इन गीतों की धुन पर पर गाये गये -राहुल देव बर्मन
- ये क्या हुआ, कैसे हुआ
- तुम बिन जाऊं कहां..
- किशोर दा की पहली पत्नी रुमा देवी के साथ गाया एक दोगाना
१८. हवाओं पे लिख दो - दो दूनी चार - हेमंत कुमार

ये अंतिम गीत उन्होने मेरे पसंद का सुनवाकर इस कार्यक्रम को विराम दिया.

मैं चाहता तो था कि इन गीतों मे से एक दो गीतों को यहां सुनवाऊं. ऐसा आग्रह भी मैने सुमन भाई ने किया भी था. उन्होने स्वीकृति भी दे दी . मगर किसी तकनीकी वजह से वे उन गीतों की रिकॊर्ड़ को टेप पर तबादला नहीं कर पानें से, वे गीत मुझ तक पहूंच नहीं पाये . सो मैं आपको मायूस करूंगा जिसका मुझे खेद है. दरसल यह पोस्ट तो १५ ता. को ही लिख कर तैयार थी और मैं राह देखकर अब पोस्ट लगा रहा हूं.

मगर रुकावट के लिये खेद है, के बाद का संगीत नहीं लगा कर, मैं आप को सुनवा रहा हूं किशोर दा की ही आवाज़ में एस.डी़.बर्मन के देहांत के बाद मे दिये गये किशोर दा द्वारा दिये गये साक्षात्कार को सुनवा रहा हूं. अगर सुमन जी दे पाये तो कल परसों में फ़िर हाज़िर हो जाऊंगा. वैसे आपकी कोई पसंद हो तो कहें..कोशिश करूंगा..






2 comments:

चतुर सुजान said...

you are great dilip sab.
aap jaisa samjhu kansen abhee is dharti par durlabh hai.badhaaee.

Smart Indian said...

दिलीप जी, इस प्रस्तुति के लिए आभार!

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