Tuesday, October 28, 2008

इस दिवाली पर हार्दिक शुभकामनायें

मेरे ब्लॊग के अंतरंग मित्रों सुरीले साथियों,



आप सभी को इस दिवाली पर हार्दिक शुभकामनायें...

सुरमई अनुभूति और संवेदनशील धडकन के ताल पर आपके जीवन में सुखों की वर्षा हो.

और साथ ही भौतिक स्वरूप के सुख और समृद्धि की भी आप के और आपके परिवार में कभी कमी नहीं आये, ये जगत पिता ईश्वर से तहे दिल से प्रार्थना...


संगीत ही सभी दुखों को हर लेने का एक मात्र रामबाण इलाज है.सुरों का सानिध्य ही मन की वितुष्णा को निर्मल करने का सादा, और सीधा उपाय है.अहसासात की संवेदनशीलता ही दिल को , मन को ईश्वर के करीब ले जाती है.

सुखं हि दु:खान्यनुभूय शोभते,
घनांधकारेश्विव दीपदर्शनम्...


(मृच्छकटिकम् - शूद्रक)

घोर अंधकार में जिस प्रकार दीपक का प्रकाश सुशोभित होता है,
उसी प्रकार दुख का अनुभव कर लेने पर सुख का आगमन आनंदप्रद होता है.


आमीन..

3 comments:

Smart Indian said...

शुभकामनायें!

एक पंक्ति said...

दु:ख की बात है कि दीपावली को हमने सिर्फ़ मिठाई,पटाख़ों और शुभकामनाओं तक सीमित कर दिया है.काश ! इस त्योहार के केन्द्र में रहने वाले मौन दीपक से भी हम कुछ सबक़ ले पाते. उसका उत्सर्ग और अपने को मिटा देने का भाव अनुकरणीय है.हम अब बताने और जताने में ज़्यादा यक़ीन करने लगे हैं. घर घर जाकर बुज़ुर्गों के स्नेहाशीष लेने का शुभविचार रस्मी होता जा रहा है. मित्र और पडौस नाम की संस्थाओं को हमने सिर्फ़ स्वार्थों के लिये ज़िन्दा रखा है. अति-वाचालता के समय में मौन दीपक से कुछ कर गुज़र जाने का भाव मालूम नहीं हम कब सीखेंगे और दीपक जैसा ही धीरज का भाव तो हम खो ही चुके. अपनी आत्मा से यह प्रश्न बहुत ईमानदारी से पूछा जाना चाहिये कि जिस अपार्टमेंट/कॉलोनी में हम रहते है उनमें से कितनों को हमने दीपावली की शुभकामना दी.रस्मी दीवाली मे संसारी जगमग तो बहुत है लेकिन मन बहुत से तमस से लबरेज़ है.

Miami Beach Water Features said...

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