Wednesday, November 26, 2008
फिर मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
तमाम कोशिशों के बाद आखिर दिल ये कह पडता है
फिर वही शाम वही ग़म ,
वही तनहाई है,
दिल को समझाने तेरी
याद चली आयी है.
फिर गिर पडे़ है हम भौतिक रूप में, और इससे पहले कि किसी की नज़रों में गिर पडे या आपकी यादों से ओझल हों, ये टाईम आउट ले रहे हैं.
फ़िल्म पडो़सन याद आयी, जिसमें आगा अपनी पत्नी से कहता है,
- जब जब जो जो होना है, तब तब सो सो होता है!
रोशन जी पर लिखा हुआ रह गया, सचिन देव बर्मन पर तीसरी कडी तैय्यार है, उसका वादा है, और बहुत सारे गीत हैं जिनका रसास्वादन करना बाकी है अभी...
फिर मिलते हैं एक ब्रेक के बाद..( मानस के अमोघ शब्द पर खुलासा किया है)
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4 comments:
बहुत ही सुंदर लिखा आप ने .
धन्यवाद
बढ़िया है..मिलते हैं ब्रेक के बाद.
वीनम्रता की पाराकास्टा है आपाका ये कूबूल करना की कीसी की नज्रो से गीरना सबसे बूरा होता है.काश कोई सूरीळी पोश्ट से वापसि करते आप.मन प्यासा रह गया.आपही को समर्पीत हेये बात की फ़िर बही दील वही गम वही तह्नाई है.
Dilipbhai
The dialogue of Agha is from film Sangam and not Padosan.
Nice write up.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
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