Monday, August 4, 2008

किशोर दा के साथ कश्ती का खामोश सफ़र

'कश्ती का खामोश सफ़र है...' यह किशोर दा का सुधा मल्होत्रा के साथ गाया गाना आज दोपहर को उनके जन्म दिन पर सुना.रहा नही गया की पहले किशोर दा पर ही कुछ ...

यह गीत मेरे लिये एक अलग महत्व रखता है. मेरे बचपन में मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि स्वयं सुधा मलहोत्रा जी ने यह गाना भोपाल के हमीदिया कॊलेज के एक गेदरिंग में गाया था.चूंकि प्रिंसिपल उनके पिताजी ही थे, तो सुलभ ही उपलब्ध हो गयी. साथ में कोई साथी बंबई से आया था. मेह्फ़िल में जया भादुरी भी मौजुद थी.

इसलिये जब दिल की गहराई तक उतरने वाला यह गीत जब आज श्रोता बिरादरी पर नश्र हुआ (या पोस्ट हुआ)्तब पुरानी यादों ने फ़िर दस्तक दी.

बताया गया कि ्रिकॊर्डिंग के वक्त बडे संजीदा मूड में गाने के लिये किशोर दा से बडी मिन्नतें की गयी, मगर वे सिरियस नही हुए. पर जब वास्तव मे रिकॊर्डिंग शुरु हुई तो नतीजा सामने है.

आज कुछ लिखने का नही बल्कि कहने का मूड है, आज मुझे भी कुछ कहना है, तो यह गीत पेश है. अपनी दिल की आवाज़ में स्वांतः सुखाय की अवस्था में गाया है खुद ही ने, शायद आप भी दाद दें तो मेहरबानी.

5 comments:

Harshad Jangla said...

Dilipbhai
You have a very good voice. Why did you give us Adhura geet?
Nice selection. I have just read the blog of Shrota Biradari.
Thanks.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA

दिलीप कवठेकर said...

Thanks for your comment. It was just a freak attempt, as I do not know, how will others take it.

Anonymous said...

you have a lovely voice:-)

राजेश अग्रवाल said...

क्या बात है!
हेमन्त कुमार का संगीतबध्द और साहिर लुधियानवी का यह गीत कितने अरसे बाद सुन सका. क्या आप मदभरे नैना फिल्म के गीत कहीं से तलाश पायेंगे. सचिन दा का संगीत है.
राजेश
www.sarokaar.blogspot.com

दिलीप कवठेकर said...

अवश्य . कोशिश करूंगा.

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