Friday, August 15, 2008

देश भक्ति के नगमें - मोहम्मद रफ़ी


रफ़ी साहब पर फ़िर से इतनी जल्दी लिखने का एक कारण है, आज़ादी की सालगिरह के दिन का महत्व. मगर जैसा की मैं कह रहा था, मैं यह सोचता हूं की उस दिन तो आप आज़ादी के तरानों की मस्ती में तो रहते ही है. क्या यह नही हो सकता की हम उसके बाद भी उस मस्ती को बरकरार रखें, नहीं तो १५ अगस्त खतम, पैसा हजम!

इसीलिये यह प्रयास. यकीन किजिये, आप को मज़ा ज़रूर आयेगा. कल के श्रीखण्ड को आज खाने जैसा !!

मैने पिछले पोस्ट में लिखा था, रफ़ीजी ने अलग अलग रंगों की छटा लिये हुए गाने गाये, जो की दूसरे गायकों को नसीब नही हुए. हर फ़न मौला थे रफ़ी साहब. जिस भी मूड का या प्रभाव का गाना हो, उनके लिये आसान था. क्योंकि, उनके गले में परवरदिगार नें वो कमाल भर दिया था , जो हर किस्म के गानों के लिये ही जैसे बनाया गया हो.चलो इसकी तसदीक भी कर लें.

विभिन्न रंगो, या मूड्स की हम जब बातें करेंगे तो हमें उनके गानों को हमें कुछ इस तरह के संवर्गों में बांटना पडेगा:

a. Soft Romantic songs कोमल रूमानी नगमें
b. Rhythemic melodious Love songs मधुर प्रेम गीत
c. Classical songs शास्त्रीय स्वरूप की बंदिशें
d. Devotional songs भजन
e. gazal गज़लें
f. Quawali कव्वाली
g. comedy कॊमेडी
h. Sad songs दर्द भरे गीत
h. philosophical songs दार्शनिक गीत
i. patriotic Songs देश भक्ति के नगमें
j. Special songs खास नगमें

(और कुछ हो तो आप बतायें)

तो पिछले पोस्ट में आपने क्लासिकल क्लासिक सुना, मधूबन में राधिका नाचे रे, जो कि एक भजन भी था. आम तौर पर भजनों को शास्त्रीय संगीत के सुरों से सजाया जाता है.जन्माष्टमी के अवसर पर एक बढियां भजन सुनवायेंगे.

आज है प्रस्तुत आज़ादी के तरानों की जुगाली..

रफ़ी जी तो इन गीतों में जान फ़ूंक देते थे. उनकी आवाज़ में जो वीर रस के ambience के लिये लगने वाली खुली और शेरदिल आवाज़ थी, साथ में ही उसमें करुणा रस का भी उतना ही समावेश था.

देशभक्ति के कई गीतों का यहां ज़िक्र करना चाहूंगा -

अब कोई गुलशन ना उजडे, कर चले हम फ़िदा, वतन पे जो फ़िदा होगा, सरफ़रोशी की तमन्ना अब , अपनी आज़ादी को हम हर्गिज़ भुला सकते नही,मेरी आवाज़ सुनों और कई..

और हां. आपमें से कुछ लोगो को याद होगा. सन १९६२ में जब चीन नें हमला किया था तो भारतवासियों का ज़ज़बा बढाने के लिये दो लघुफ़िल्में बनी थी जिसमें फ़िल्मी कलाकारों ने काम भी किया था. वो गाने भी रफ़ीजी नें ही गाये थे.याद नही आ रहे हैं. किसी के पास होंगे?

आज हम देशभक्ति के गीतों में हमेशा अव्वल रहने वाला यह गीत सुनें - वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो - शहीद (पुरानी) फ़िल्म के इस गीत को रफ़ीजी ने खान मस्तान(या मस्ताना ?) के साथ गाया है.

कल से कोशिश कर रहा था कि इसका ऒडियो क्लिप मिल जाये, क्योंकि टेप पर से MP3 में बदलने की जुगाड अभी लग नही पायी है. सारेगामा के साईट पर भी उपलब्ध नही है.

खैर ,अभी तो असल गीत के बजाय मेरे गुनगुनाये हुए एक छोटी सी क्लिप को सुनिये. साज़ो आवाज़ के साथ फिर कभी, अभी तो सिर्फ़ मैं , आप, और रफ़ीजी.

5 comments:

Anwar Qureshi said...

दिलीप भाई .दिल में देश भक्ति जगाने के लिए धन्यवाद ...

दिलीप कवठेकर said...

मुझे चीन के हमले के समय वाला एक गाना याद आ गया..

अपने सभी सुख एक है,अपने सभी गम एक है, आवाज़ दो , आवाज़ दो हम एक है, हम एक है.

दूसरे की याद मे हुं क्या आप जानते है?

और हां, मेरे गाने की क्लिप आधी ही लोड हो पायी थी जो अब ठीक कर ली गयी है. Novice , as I am, begs for your pardon.

Smart Indian said...

बहुत सुंदर, दिलीप जी. धन्यवाद.

दिलीप कवठेकर said...

एक संयोग की बात और.

यह गीत संगीत के क्षेत्र से जुडे एक और ब्लॊग पर शाया हुआ है, मय गाने की क्लिप के साथ.

तो असल गीत को सुनने के लिये आप जा सकते है-
मीत
www.kisseykahen.blogspot.com

ताऊ रामपुरिया said...

मैं , आप, और रफ़ीजी.....

वतन की राह में वतन के....

क्या खुबसूरत आवाज है आपकी !
बहुत बहुत शुभकामनाए !

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